रिश्तों का ये सिलसिला इस कदर उलझा क्यूँ हैं ?
होठों तले छिपे अल्फाज़ अचानक खामोश क्यूँ हैं ?
जिसे चाहते है हम बेपनाह , वो हमारी चाहत से बेखबर क्यूँ है ?
जिसे ठुकरा दिया हमने कभी, उसे आज भी हमसे मोहब्बत क्यूँ है?
अश्क गिरते है जिसके लिए उसे कद्र नहीं उसकी पर
किसी अजनबी को हमारे अश्कों की इतनि फ़िक्र क्यूँ है?